Showing posts with label Lord Vishnu Prayers. Show all posts
Showing posts with label Lord Vishnu Prayers. Show all posts

Tuesday, July 21, 2020

Dasavatara Stotram lyrics in Sanskrit दशावतार स्तोत्रं अर्थ सहित

Shri Vishnu

दशावतार स्तोत्रं हिंदी अर्थ सहित-

। अथ श्री दशावतार स्तोत्रम् ।
मीन अवतार-
प्रलयपयोधिजले धृतवानसि वेदम । विहितवहित्रचरित्रमखेदम् |
केशव धृतमीनशरीर जय जगदीश हरे ।1।

हे केशव! प्रलय के समय तुमने विशाल मछली का रूप धारण करके वेदों को एक नाव (जो बिना खेद के किसी भी वस्तु को पार ले जाती है) के समान सुरक्षा प्रदान की, हे जगदीश तुम्हारी जय हो।

कूर्म अवतार-
छितिरतिविपुलतरे तव तिष्ठति प्रष्ठे । धरणिधरणकिणचक्रगरिष्ठे।
केशव धृतकच्छपरूप जय जगदीश हरे ।2।

हे केशव! आपकी पीठ पर मन्दराचल पर्वत स्थित है, जिसके कारण आपकी पीठ पर गोल निशान बने हुए हैं, इस कूर्म अवतार के रूप में हे जगदीश तुम्हारी जय हो।

वराह अवतार-
वसति दशनशिखरे धरणी अव लग्ना । शशिनि कलन्कलेव निमग्ना।
केशव धृतसूकररूप जय जगदीश हरे ।3।

हे केशव! पृथ्वी, जो समुद्र में डूब गयी थी, वह आपके दाँतों के ऊपर चंद्रमा पर लगे दाग की भांति स्थित है, शूकर अवतार के रूप में हे जगदीश तुम्हारी जय हो।

नृसिंह अवतार-
तव करकमलवरे नखमद्भुतशृंगम्। दलितहिरण्यकशिपुतनुभृङ्गम् ।
केशव धृतनरहरिरूप जय जगदीश हरे ।4।

हे केशव! आपके कर कमलों के तीखे नाखून अनोखे हथियार हैं, जिनसे आपने हिरण्यकश्यप के शरीर को फाड़ दिया, हे जगदीश नरसिंह अवतार के रूप में आपकी जय हो।

वामन अवतार-
छल्यसि विक्रमणे बलिमद्भुतवामन । पदनखनीरजनितजनपावन।
केशव धृतवामनरूप जय जगदीश हरे ।5।

हे केशव! एक वामन का रूप धारण करके  वीर राजा बलि को पराजित किया, आपके पद नखों से सभी को पावन करने वाली गंगा निकलती है, वामन अवतार में हे जगदीश, तुम्हारी जय हो।

परशुराम अवतार-
क्षत्रिययरूधिरमये  जगदपगतपापम । सनपयसि पयसि शमितभवतापम ।
केशव धृतभृगुपतिरूप जय जगदीश हरे ।6।

हे केशव! तुमने अत्याचारी क्षत्रियों के रक्त से पृथ्वी को नहलाकर पाप मुक्त किया है और तुमने जगत की वेदना दूर की है, भृगुपति (परशुराम) अवतार के रूप में हे जगदीश, तुम्हारी जय हो।

राम अवतार-
वितरसि दिक्षु रणे दिक्पतिकमनीयम । दशमुखमौलिबलिं रमणीयम् ।
केशव धृतरघुपतिवेष जय जगदीश हरे ।7।

हे केशव! धर्म की स्थापना हेतु तुमने दस दिग्पालों को रावण के 10 मुख वितरित (अर्पित) किये, श्री राम अवतार के रूप में हे जगदीश तुम्हारी जय हो।

बलराम अवतार-
वहसि वपुषे विशदे वसनं जलदाभम। हलहतिभीतिमिलितमुनाभम् ।
केशव धृतहलधररूप जय जगदीश हरे ।8।

हे केशव! आपने मेघों के रंग के समान नीले वस्त्र धारण किये हैं, ऐसा लगता है मानो यमुना आपके हल से भयभीत हो आपके वस्त्रों में छुपी हैं, हे जगदीश, हलधर (बलराम) अवतार में आपकी जय हो।

बुद्ध अवतार-
निन्दसि यज्ञविधेरहह श्रुतिजातम । सदयह्रदयदर्शितपशुघातम्।
केशव धृतबुद्धशरीर जय जगदीश हरे ।9।

हे केशव! यज्ञों में पशु बलि का निंदा करने वाले, सभी जीवों पर करुणा करने वाले दयालुह्रदय प्रभु, बुद्ध अवतार धारण करने वाले हे जगदीश तुम्हारी जय हो।

कल्कि अवतार-
मलेक्छनिवहनिधने कलयसि करवालम । धूमकेतुमिव किमपि करालम ।
केशव धृतकल्किशरीर जय जगदीश हरे ।10।

म्लेच्छों का विनाश करने के लिए भयंकर तलवार लिए हुए धूमकेतु के समान प्रतीत होने वाले हे केशव, कल्कि शरीर (अवतार) में हे जगदीश आपकी जय हो।

श्रिजय्देवकवेरिदमुदितमुदारम् । शृणु सुखदं शुभदं भवसारम ।
केशव धृतदशविधरूप जय जगदीश हरे ।11।

दस रूपों में अवतार लेने वाले हे जगदीश! आप जयदेव द्वारा रचित यह सुखप्रद, शुभकारी, कल्याणप्रद स्तुति सुनें।
। इति श्री दशावतारस्तोत्रम् संपूर्णम् ।

Related Posts-

Sunday, April 29, 2018

Om Jai Jagdish Hare Aarti

jai jagdish hare
Bhagwan Vishnu
Om Jai Jagdish Hare-
ॐ जय जगदीश हरे

स्वामी जय जगदीश हरे

भक्त जनों के संकट

दास जनों के संकट

क्षण में दूर करे

ॐ जय जगदीश हरे

जो ध्यावे फल पावे
दुःखबिन से मन का
स्वामी दुःखबिन से मन का
सुख सम्पति घर आवे
सुख सम्पति घर आवे
कष्ट मिटे तन का
ॐ जय जगदीश हरे

मात पिता तुम मेरे
शरण गहूं किसकी
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी
तुम बिन और न दूजा
तुम बिन और न दूजा
आस करूं मैं जिसकी
ॐ जय जगदीश हरे

तुम पूरण परमात्मा
तुम अन्तर्यामी
स्वामी तुम अन्तर्यामी
पारब्रह्म परमेश्वर
पारब्रह्म परमेश्वर
तुम सब के स्वामी
ॐ जय जगदीश हरे

तुम करुणा के सागर
तुम पालनकर्ता
स्वामी तुम पालनकर्ता
मैं मूरख फलकामी
मैं सेवक तुम स्वामी
कृपा करो भर्ता
ॐ जय जगदीश हरे

तुम हो एक अगोचर
सबके प्राणपति
स्वामी सबके प्राणपति
किस विधि मिलूं दयामय
किस विधि मिलूं दयामय
तुमको मैं कुमति
ॐ जय जगदीश हरे

दीन-बन्धु दुःख-हर्ता
ठाकुर तुम मेरे
स्वामी रक्षक तुम मेरे
अपने हाथ उठाओ
अपने शरण लगाओ
द्वार पड़ा तेरे
ॐ जय जगदीश हरे

विषय-विकार मिटाओ
पाप हरो देवा
स्वमी पाप हरो देवा
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
सन्तन की सेवा
ॐ जय जगदीश हरे

ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट
दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे


Om Jai Jagdish Hare-

Om jai jagadish hare
swami jai jagadish hare
bhakt jano ke sankat
daas jano ke sankat
kshan men door kare
om jai jagadish hare

jo dhyaave phal paave
dukh bin se man kaa
swami dukh bin se man kaa
sukh sampati ghar ave
sukh sampati ghar ave
kasht mite tan kaa
om jai jagadish hare

maat pita tum mere
sharan kahoon kiski
swami sharan kahoon kiski
tum bin aur na dooja
tum bin aur na dooja
aas karoon jiski
om jai jagadish hare

tum pooran paramatma
tum antaryami
swami tum antaryami
paar brahm parameshwar
paar brahm parameshwar
tum sabke swami
om jai jagadish hare

tum karuna ke saagar
tum paalan karta
swami tum paalan karta
main moorakh khalakhami
main sevak tum swami
kripa karo bharta
om jai jagadish hare
tum ho ek agochar
sab ke praan pati
swami sab ke praan pati
kis vidhi miloon dayamaya
kis vidhi miloon dayamaya
tum ko main kumati
om jai jagdish hare

deen bandhu dukh harta
thaakur tum mere
swaami rakhshak tum mere
apne haath uthao
apni sharan lagao
dwaar padha tere
om jai jagadish hare

vishay vikaar mitaao
paap haro deva
swami paap haro deva
shradha bhakti badhao
shradha bhakti badhao
santan ki seva
om jai jagadish hare

om jai jagadish hare
swami jai jagadish hare
bhakt jano ke sankat
daas jano ke sankat
kshan men door kare
om jai jagadish hare.

Thursday, March 22, 2018

विष्णु चालीसा Shri Vishnu Chalisa in Hindi

Shree Vishnu Chalisa in Hindi text-

॥ दोहा ॥
विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥

॥ चौपाई ॥
नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।।1।।
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी ।।2।।

सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।।3।।
तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत ।।4।।

शंख चक्र कर गदा बिराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे ।।5।।
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे ।।6।।

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन, दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।।7।।
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन ।।8।।

पाप काट भव सिन्धु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।।9।।
करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण ।।10।।

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा ।।11।।
भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा ।।12।।

आप वाराह रूप बनाया, हिरण्याक्ष को मार गिराया ।।13।।
धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया ।।14।।

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया ।।15।।
देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया ।।16।।

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।।17।।
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया ।।18।।

वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।।19।।
मोहित बनकर खलहि नचाया, उसही कर से भस्म कराया ।।20।।

असुर जलन्धर अति बलदाई, शंकर से उन कीन्ह लडाई ।।21।।
हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई ।।22।।

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी ।।23।।
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृन्दा की सब सुरति भुलानी ।।24।।

देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।।25।।
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी, हना असुर उर शिव शैतानी ।।26।।

तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे, हिरणाकुश आदिक खल मारे ।।27।।
गणिका और अजामिल तारे, बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ।।28।।

हरहु सकल संताप हमारे, कृपा करहु हरि सिरजन हारे ।।29।।
देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे, दीन बन्धु भक्तन हितकारे ।।30।।

चहत आपका सेवक दर्शन, करहु दया अपनी मधुसूदन ।।31।।
जानूं नहीं योग्य जब पूजन, होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ।।32।।

शीलदया सन्तोष सुलक्षण, विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ।।33।।
करहुं आपका किस विधि पूजन, कुमति विलोक होत दुख भीषण ।।34।।

करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण, कौन भांति मैं करहु समर्पण।।35।।
सुर मुनि करत सदा सेवकाई, हर्षित रहत परम गति पाई ।।36।।

दीन दुखिन पर सदा सहाई, निज जन जान लेव अपनाई ।।37।।
पाप दोष संताप नशाओ, भव बन्धन से मुक्त कराओ ।।38।।

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ, निज चरनन का दास बनाओ ।।39।।
निगम सदा ये विनय सुनावै, पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ।।40।।

Related Posts-

Vishnu Chalisa lyrics in English-

Doha-
Vishnu suniye vinay sewak ki chit laye ।
Kirat kuch warnan karu dije gyan bataye ॥

Chaupai-
Namo Vishnu bhagwan kharari, Kashat nashavan akhil vihari ।।१।।
Prabal jagat mein shakti tumhari, Tribhuvan fail rahi ujiyari ।।२।।
Sundar roop manohar surat, Saral swabhav mohini murat ।।३।।
Tan par pitambar ati shohat, Baijanti mala man mohat ।।४।।

Shankh chakra kar gada viraje, Dekhat detaye asur dal bhaje ।।५।।
Satay dharm mad lobh na gaje, Kam krodh mad lobh na chaje ।।६।।
Santbhakt sajan manranjan, Danuj asur dushtan dal ganjan ।।७।।
Such upjaye kashat sab bhanjan, Dhosh mitaye karat jan sannjan ।।८।।

Pap kat bhav sindhu uttaran, Kasht nashkar bakat ubharan ।।९।।
Karat anek roop prabhu dharan, Kaval aap bhagati ke karan ।।१०।।
dharani dhenu ban tumhi pukara, Tab tum roop ram ka dhara ।।११।।
Bhar utar asur dal maar, Ravan adik ko sanhara ।।१२।।

Aap varah roop banaya, Hiranyash ko maar giraya ।।१३।।
Dhar matyas tan sindu banaya, Choudah ratnanko nikalaya ।।१४।।
Amilakh aasur dundu machaya, Roop mohini aap dikhaya ।।१५।।
Devan ko amarat pan karaya, Asuran ko chabi se bahalaya ।।१६।।

Kurm roop dhar sindhu majhaya, Mandrachal giri turan uthaya ।।१७।।
Shankar ka tum fand chudaya, Bhasmasur ka roop dekhaya ।।१८।।
Vedan ko jab asur dubaya, Kar prabandha unhee tuntalaya ।।19।।
mohit banker kalahi nachaya, Ushi kar se bahasam karaya ।।20।।

Asur jalandhar ati baldai, Sankar se un kinh ladayi ।।21।।
Har par shi sakal banaye, Kin sati se chal khal jayi ।।22।।
Sumiran kin tumhe shivrani, Batlai sab vipat kahani ।।23।।
tab tum bane muneshwar gyani, Vrinda ki sab surti bhulani ।।24।।

Dekhat teen danuj shaitani, Vrinda aaye tumhe laptani ।।25।।
Ho shaparsh dharm sharati mani, Hani asur uur shiv shaitani ।।26।।
Tumne dhur prahlad ubhare, Hirnakush aadik khal mare ।।27।।
Ganika aur ajamil tare, Bhahut bhakt bhav sindu utare ।।28।।

Harahu sakal santap hamare, Kripa karahu kari sirjan hare ।।29।।
Dekhun mai nij darsh tumhare, Din bandu bhaktan hitkare ।।30।।
॥15॥ Chahat apka sevak darshan, Karhu daya apni madhusudan ।।31।।
Janu nahi yogay jab poojan, Hoye yagy shistuti anumodan ।।32।।

Shildaya santosh shishan, Vidhit nahi vratbhodh vilkshan ।।33।।
Karhu apka kis vidhi poojan, Kumati vilok hote dukh bhishan ।।34।।
Karhu pradam kon vidisumiran, Kon bhati mai karhu samarpan ।।35।।
Sur munni karat sada sivkai, Harshit rahat param gati paye ।।36।।

Din dukhin par sada sahai, Nij jan jan lave apnayi ।।37।।
Pap dosh santap nashao, Bhav bandan se mukat karao ।।38।।
Sut sampati de such upjao, Nij charan ka das banao ।।39।।
Nigam sada se vanay sunawe, Padhe sune sojan sukh pave ।।40।।
 
Related Post-